Followers

Labels

Powered By Blogger

Thursday, December 3, 2009

मै हूं एक समुंदर रेत का

मै हूं एक समुंदर रेत का
न जाने कितनी बारीशे आयी
संग अपने बहा ले जाने को ,
न जाने कितनी आन्धिया आयी
संग अपने उडा ले जाने को

मै रहा फिर भी वही ,
उसी जगह ,...... उसी तरह
बिखरा हुआ ...फैला हुआ ............

इन्तेजार करता हुं उस तुफान का
जो ले जाये मुझे अपने संग
खत्म कर मेरा वजूद
हमेशा के लिये
कर दे मुक्त 'अक्स' को इस बंधन से
मिला दे 'अक्स' को 'अक्स'से

तपता हू तपिश मे उसकी
रहता हुं अकेला
फिर याद आती है जैसे जला हुं मै
कोई और न जल जाये
ये सोचकर शीतलता अपने आप ही
मुझ पर आ जाये ................

मै हूं एक समुंदर रेत का

No comments:

Post a Comment