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Thursday, February 3, 2011

"गुनाहगार"

फांसले  भी मिट गए 
दूरियां भी न रही,
वो लकीर ही न मिटी 
जो तुम खींच के गए,

पास भी आते गए 
दूर भी जाते गए , 
नजदीकियां भी रही, दरमियाँ
और वो दूरियां भी बढ़ाते गए,

हम सहरा - ए - मुहब्बत में ,
कुछ ऐसे उतरते  गए,
सरे बाज़ार रुसवा हुए
मोहब्बत - ए - झील में 
और वो खड़े देखते गए ,
 
"इस फरेबी दुनिया में ऐसा कई बार हुआ , 
गुनाहगार कोई और था, गुनाहगार कोई और हुआ "

93 comments:

  1. "इस फरेबी दुनिया में ऐसा कई बार हुआ ,
    गुनाहगार कोई और था, गुनाहगार कोई और हुआ "

    sachchi aur sundar abhivyakti .

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  2. नजदीकियां भी रही, दरमियाँ
    और वो दूरियां भी बढ़ाते गए,


    यह अक्सर होता है दुनिया में ..इस सच्चाई से हर किसी का वास्ता पड़ता है .....आपका आभार इस प्यारी और सार्थक रचना के लिए

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  3. पास भी आते गए
    दूर भी जाते गए ,
    नजदीकियां भी रही, दरमियाँ
    और वो दूरियां भी बढ़ाते गए,

    "इस फरेबी दुनिया में ऐसा कई बार हुआ ,
    गुनाहगार कोई और था, गुनाहगार कोई और हुआ "

    सार्थक रचना के लिए आपका आभार..............

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  4. "इस फरेबी दुनिया में ऐसा कई बार हुआ ,
    गुनाहगार कोई और था, गुनाहगार कोई और हुआ
    bahut achcha likhe hain.

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  5. जीवन की सच्चाई बयां करती हुई बहुत ही सुंदर प्रस्तुति.

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  6. गुनाहगार कोई और था, गुनाहगार कोई और हुआ

    बहुत ही प्रभावी पंक्तियाँ.... कमाल की अभिव्यक्ति

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  7. मर्मज्ञ जी शुक्रिया, ऐसे ही अपना स्नेह बनाये रखिये

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  8. केवल राम जी आपका बहुत बहुत आभार यहाँ तक आने और हौसला अफजाई क लिए ........आशा करता हूँ अब मिलना जुलना लगा रहेगा

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  9. रजनी मल्होत्रा नैय्यर जी शुक्रिया , आपका यहाँ तक आना बहुत अच्छा लगा .उम्मीद कर सकता हु अब आन जन लगा रहेगा

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  10. मृदुला प्रधान जी तहे दिल से शुक्रिया

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  11. उपेन्द्र भाई साहब हौसला अफजाई के लिए शुक्रिया......

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  12. डॉ॰ मोनिका शर्मा जी आपने ब्लॉग पर आने और उत्साह बढ़ाने क लिए शुक्रिया

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  13. स्वागत है,
    अच्छी कविता है।

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  14. फांसले भी मिट गए
    दूरियां भी न रही,
    वो लकीर ही न मिटी
    जो तुम खींच के गए,

    बहुत सुन्दर .....

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  15. नजदीकियां भी रही, दरमियाँ
    और वो दूरियां भी बढ़ाते गए,

    bahut sundar abhivyakti.

    .

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  16. Lalit sharma ji bahut bahut shukriya........mere gher (blog) aane ka aur marg dershan kerne ke liye

    ReplyDelete
  17. Zeal ji shukriya aap ke hauslo se hi to mere pankho ko phadphadane ki takat milti hai

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  18. गुनाहगार कोई और था, गुनाहगार कोई और हुआ
    बहुत अच्छा लिखा है...

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  19. गुनाहगार कोई और था ,गुनाहगार कोई और हुआ
    SUNDAR RACHNA

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  20. Surendra singh ji hausla afjai k lye bahut bahut shukriya

    ReplyDelete
  21. "इस फरेबी दुनिया में ऐसा कई बार हुआ ,
    गुनाहगार कोई और था, गुनाहगार कोई और हुआ "

    सार्थक रचना के लिए आपका आभार

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  22. कई दिनों से बाहर होने की वजह से ब्लॉग पर नहीं आ सका

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  23. गुनाहगार कोई और था, गुनाहगार कोई और हुआ "

    क्या बात है .....

    वो लूट कर हमें यूँ खड़े थे गैरों के साथ
    खुद पे बहाने को आँसू भी अपने न रहे

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  24. heer ji bahut bahut shukriya apne kadam mere gher(blog) tak lane k liye ...shukriya

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  25. शुक्ला जी,
    पहली बार आपको पढने का मौका मिला और सच कहूँगा आपके यहाँ आना व्यर्थ न हुआ!
    खूबसूरत अभिव्यक्ति!

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  26. bahut sundar rachana. thank you so much sukla Ji

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  27. आपका आभार ब्लॉग पर आकर प्रोत्साहित करने के लिए ...अपना मार्गदर्शन सदा बनाये रखना

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  28. "गुनाहगार" कई जीवन सन्दर्भों को उजागर करती है कि ऐसा भी होता है - सुंदर रचना - बधाई और शुभकामनाएं

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  29. jai baba banaras-----
    sunder lekhan---

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  30. सुन्दर रचना के लिए आभार

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  31. जीवन की सच्चाई बयां करती बहुत ही सुंदर प्रस्तुति,
    बेह्द उम्दा अभिव्यक्ति।

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  32. "इस फरेबी दुनिया में ऐसा कई बार हुआ ,
    गुनाहगार कोई और था, गुनाहगार कोई और हुआ "

    भाई साहब , वास्तव में बहुत ही बहुत बढ़िया !

    --
    ..

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  33. Surendra Ji bahut bahut shukriya..........

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  34. Babulal Gadhwal ji bahu bahut shukriya yaha tak aane aur rachna ka maan rakhne k liye..........

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  35. Rakesh Kaushik Ji hausla afjai k liye shukriya..............

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  36. Arvind ji apne subh kadam yaha tak lane k liye bahut bahut shukriya

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  37. Dinesh Rohilla ji umeed hai ab jana laga rahega ...yaha tak aane k liye abhar vyakt kerta hu aapka

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  38. han sir ye line jo aap ne likhe hai ye ek dam sach hai sir ji ..

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  39. हम सहरा - ए - मुहब्बत में ,
    कुछ ऐसे उतरते गए,
    सरे बाज़ार रुसवा हुए
    मोहब्बत - ए - झील में
    और वो खड़े देखते गए
    सुन्दर रचना,वैसे यह जानने को उत्सुक हूँ कि गुनहगार सही शब्द है अथवा गुनहगार ! क्योंकि अक्सर लोग बसंत और वसंत की ही वान्ति इन दो शब्दों को ही खूब प्रयुक्त करते है !

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  40. बहुत अच्छी रचना के लिये बधाई

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  41. क्‍या सफेद क्‍या स्‍याह खुदा जानता है

    कौन गुनाहगार, क्‍या गुनाह खुदा जानता है

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  42. P.C. Godiyaal Sahab Shukriya.......waise jaha tak humne dekha hai log dono hi tarike se ishe prayukt kerte hai.waise bahut bahut shukriya is or dhyan dilane k liye..........

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  43. Rajey Sha bikul sahi kaha hai aapne, shukriya yaha tak aane k liye

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  44. Jakir Ali 'Rajneesh' Ji bahut bahut shukriya yaha tak ane k liye****

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  45. वाह वाह अमरेन्द्र जी. खूब है.
    plz.visit: kunwarkusumesh.blogspot.com

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  46. हम सहरा - ए - मुहब्बत में ,
    कुछ ऐसे उतरते गए,
    सरे बाज़ार रुसवा हुए
    मोहब्बत - ए - झील में
    और वो खड़े देखते गए ,

    achchhi pantiyan lagi.

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  47. गुनाहगार कोई और था ...गुनाहगार कोई और हुआ ..बहुत सटीक बात कही ...सुन्दर रचना

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  48. "इस फरेबी दुनिया में ऐसा कई बार हुआ ,
    गुनाहगार कोई और था, गुनाहगार कोई और हुआ "
    बहुत खुब जी धन्यवाद

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  49. तस्‍वीर और शब्‍द, एक-दूसरे के समर्थ पूरक.

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  50. Kunwar Kusumesh ji bahut bahut shukriya

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  51. Prem Farrukhabadi ji shukriya , umeed hai ab milna julna laga rahega

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  52. Sangeeta Swaroop ji bahut bahut shukriya..............

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  53. muhabbat kabhi sahra , kabhi jheel , kya baat hai

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  54. वाह...
    बहुत खूब...
    सच है...

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  55. अमर जी ! बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति

    नजदीकियां भी रही, दरमियाँ
    और वो दूरियां भी बढ़ाते गए,....वाह

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  56. "इस फरेबी दुनिया में ऐसा कई बार हुआ ,
    गुनाहगार कोई और था, गुनाहगार कोई और हुआ ".....

    बहुत सटीक ....एक-एक शब्द भावपूर्ण .....

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  57. POOJA ji yaha tak aane k liye tahe dil se shukriya ada kerta hu aapka

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  58. Dr. Nutan ji hausla fajai k liye bahut bahut shukriya

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  59. वो लकीर ही न मिटी
    जो तुम खींच के गए,
    लकीरें कितनी भी मिटा लो निशान छोड ही जाती हैं। अच्छी लगी रचना बधाई।

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  60. इस फरेबी दुनिया में ऐसा कई बार हुआ ,
    गुनाहगार कोई और था, गुनाहगार कोई और हुआ ...

    ये तो रीत है दुनिया की ... सभी के साथ मज़ाक करती है है दुनिया ...
    दिल खोल कर रख दिया आपने .....

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  61. Nirmala Ji bahut bahut shukriya.....aapke aane se gher(blog) me raunak a jati hai

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  62. सार्थक रचना के लिए आपका आभार

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  63. सुंदर अति सुंदर रचना .अन्याय दिल को हमेशा ही कचोटता है. कानून में गुनाह जब तक सिद्ध नहीं हो जाता तब तक व्यक्ति को गुनहगार नहीं माना जाता. ये अलग बात है कि कानून का दुरप्रयोग
    अधिकतर अपराधी ही अपने हक में कर ले जाता है और बेगुनाह को अक्सर भुगतना पड़ता है .

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  64. शिवकुमार ( शिवा) ji bahut bahut dhanyawaad******

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  65. Rakesh Kumar ji bikul sahi kaha hai aapne ******

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  66. हम सहरा - ए - मुहब्बत में ,
    कुछ ऐसे उतरते गए,
    सरे बाज़ार रुसवा हुए
    मोहब्बत - ए - झील में
    और वो खड़े देखते गए ,
    bahut hi gahrai hai ,sundar rachna .

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  67. प्रशंसनीय.........लेखन के लिए बधाई।
    ==========================
    देश को नेता लोग करते हैं प्यार बहुत?
    अथवा वे वाक़ई, हैं रंगे सियार बहुत?
    ===========================
    होली मुबारक़ हो। सद्भावी -डॉ० डंडा लखनवी

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  68. Dr.Sushila Gupta ji yaha tak aane aur rachna ka maan rakhne ke liye aapka bahut abhari hun

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  69. डॉ० डंडा लखनवी ji shukriya

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  70. "इस फरेबी दुनिया में ऐसा कई बार हुआ ,
    गुनाहगार कोई और था, गुनाहगार कोई और हुआ "

    bahut sundar abhivyakti

    ReplyDelete
  71. somali ji aapka aana bahut acha laga .aise hi aap apna sneh banaye rakhe.....

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  72. इस फरेबी दुनिया में ऐसा कई बार हुआ
    गुनाह किसी ने किया और गुनाहगार कोई और हुआ
    दुआ किसी ने मांगी और दामन किसी का भर दिया
    हमने तो आजतक कुछ माँगा ही नहीं
    जो उस रब ने दिया बस उसे स्वीकार कर लिया ,,

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