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Thursday, June 30, 2011

तुमसा बागबां



वो लबो पे मेरा नाम जो लाते   
तो हम दौड़े चले आते थे ,
आज हमने पुकारा  
तो वो कहते है 
तुम्हारे दामन में कई कांटे है 
मैंने  कहा
जिसे मिल जाये, तुमसा बागबां
उसके दामन में कांटे भी फूल बन जाते है 

ये नसीब मेरा है जो कांटे है मेरे दामन में 
फूल होते तो कब का टूट गए होते 

बड़ी शिद्दत से सींचा है 
इनको मैंने 
खुशियों कि चाह में 
ये बने है फूल 
आज तुम्हारी राह में

फूल तो बहुत तोड़े होंगे तुमने  
कभी कांटे भी तोड़ के देखो 
यूँ तो फूलो कि कोमलता से भी 
तुम सहम गयी होगी
आज काँटों की  नर्मी भी देखो 

झुक रही थी वादियाँ कल तक इशारो पे मेरे 
आज पलके भी झुकती नहीं    
कल तक साथ थे, मेरे साये की तरह 
आज परछाई भी बनते नहीं 

कल तक मेरे दामन में  उनके प्यार की बारिश थी 
आज तन्हाई के  बादल है जो बरसते नहीं..........

Thursday, June 23, 2011

पिये जा, जिये जा



पिये  जा, जिये  जा ,
उसके अश्को को ही सही   
पर तू पिये जा जिये जा 
कल तक कमी थी 
आज पूरी हो जाएगी 
तेरे साथ न सही 
संग यादो में दौड़ी चली आएगी 

यहाँ मय भी है 
मीना भी है 
यादों में उसकी 
जीना भी है 

उतार इक घूंट, 
उसकी यादों का
तू हलक के नीचे  
यहाँ नशेमन भी है
और नशा -ए-यार भी 

रख सामने साकी, 
तू देख तो जरा 
नशा किस्मे है 
यहाँ तेरा हमदर्द (मय)  भी हैं
और तेरा यार भी 

पैमाने टूटते है 
तो टूट जाने  दो
आज हौसला रखो अपने हौसले का  
देख वफ़ा  किस्मे है 
आज वो भी है 
और उनकी यादे भी