वो लबो पे मेरा नाम जो लाते
तो हम दौड़े चले आते थे ,
आज हमने पुकारा
तो वो कहते है
तुम्हारे दामन में कई कांटे है
मैंने कहा
जिसे मिल जाये, तुमसा बागबां
उसके दामन में कांटे भी फूल बन जाते है
ये नसीब मेरा है जो कांटे है मेरे दामन में
फूल होते तो कब का टूट गए होते
बड़ी शिद्दत से सींचा है
इनको मैंने
खुशियों कि चाह में
ये बने है फूल
आज तुम्हारी राह में
फूल तो बहुत तोड़े होंगे तुमने
कभी कांटे भी तोड़ के देखो
यूँ तो फूलो कि कोमलता से भी
तुम सहम गयी होगी
आज काँटों की नर्मी भी देखो
झुक रही थी वादियाँ कल तक इशारो पे मेरे
आज पलके भी झुकती नहीं
कल तक साथ थे, मेरे साये की तरह
आज परछाई भी बनते नहीं
कल तक मेरे दामन में उनके प्यार की बारिश थी
आज तन्हाई के बादल है जो बरसते नहीं..........