न मै, तुमसे दूर जा सका
उम्र बीतती रही ऐसे ही ख्यालो में
कभी तुम कुछ नहीं बोले
न कभी हमसे कुछ बोला गया,
कभी तुम मुझसे छुपाते गए
कभी मुझसे दिखावा न हुआ
न जाने वो कैसा रास्ता था
जिसपे कभी तुम नहीं चले
और न कभी मुझसे अकेले आया गया
मै इक बंधा ''शिकारा''
तुमने रुकना मुनासिब नहीं समझा
न कभी मुझसे तुम्हे रोका ही गया
तुम्हे नए रिश्ते बनाने का शौक
हमे पुराने बंधन प्यारे
तुमसे कभी बन्धनों में बंधा न गया
और न हमसे नये साहिलों से रिश्ता बनाया गया