Followers

Labels

Powered By Blogger

Friday, December 9, 2011

मै इक बंधा ''शिकारा''



न तुम, मेरे करीब आ सकी 
न मै, तुमसे दूर जा सका 
उम्र बीतती रही ऐसे ही ख्यालो में 
 कभी तुम कुछ नहीं बोले 
 न कभी हमसे कुछ बोला  गया,

कभी तुम मुझसे छुपाते गए 
कभी मुझसे दिखावा न हुआ 
न जाने वो कैसा रास्ता था 
जिसपे कभी तुम नहीं चले 
और न कभी मुझसे अकेले आया गया 

 
तुम रहे इक आजाद पंछी 
मै इक बंधा ''शिकारा''
तुमने रुकना मुनासिब नहीं समझा 
 न कभी मुझसे तुम्हे रोका ही गया 

तुम्हे नए रिश्ते बनाने का शौक
हमे पुराने बंधन प्यारे 
तुमसे कभी बन्धनों में बंधा न गया 
और न हमसे नये साहिलों से  रिश्ता बनाया गया