'सफ़ेद हंस'
इक दिन
रह जाओगे ,
समुंदर में मोती की तरह
बेशकीमती, पर,
कैद अपने ही दायरे में
अपनी ही तनहाइयों के साथ ..........
कितनी ही परते
चढ़ी होंगी तुम पर ,
कितने ही कठोर
बन चुके होंगे तुम
फिर भी
ढून्ढ ही लेगा मोती चुगने वाला 'सफ़ेद हंस'
तुम्हे,
तोडकर तुम्हारा अभिमान
बिखरा देगा
धरातल पर ,
पल भर में तोड़ देगा,
तुम्हारा झूठा गुरुर
सोच कर वो दिन
मै आज से हैरान हूँ,
तुम मेरे लिए न सही
मै तुम्हे सोचकर परेशान हूँ ........
===="अमर"====
30.06.2012
30.06.2012