सच,
यही बात है न, की,
मैं एक औरत हूँ
बस यही कसूर है मेरा
बस इसीलिए
मेरा सच्चा स्वाभिमान
तुम्हारे झूठे अभिमान
के आगे न टिक सका
मुझे झुकना ही पड़ेगा
तुम्हारे
झूठे दंभ और अहंकार के आगे
सदियों से यही होता आया
सीता ने राम के लिए
तो
राधा ने श्याम के लिए
क्या कुछ न सहा
फिर मेरी क्या बिसात
तुम्हारे आगे,
फिर भी
हर बार,
बार-बार,
आना ही होगा
तुम्हारे आगोश में
यह जानकार भी
ये कुछ पल का चैन
जिंदगी भर का सकूं छीन लेगा
मैं एक औरत हूँ न
बस
झुकना ही होगा
कभी तुम्हारे तो कभी
तुम्हारे झूठे स्वाभिमान के आगे ----------
अमर=====
यही बात है न, की,
मैं एक औरत हूँ
बस यही कसूर है मेरा
बस इसीलिए
मेरा सच्चा स्वाभिमान
तुम्हारे झूठे अभिमान
के आगे न टिक सका
मुझे झुकना ही पड़ेगा
तुम्हारे
झूठे दंभ और अहंकार के आगे
सदियों से यही होता आया
सीता ने राम के लिए
तो
राधा ने श्याम के लिए
क्या कुछ न सहा
फिर मेरी क्या बिसात
तुम्हारे आगे,
फिर भी
हर बार,
बार-बार,
आना ही होगा
तुम्हारे आगोश में
यह जानकार भी
ये कुछ पल का चैन
जिंदगी भर का सकूं छीन लेगा
मैं एक औरत हूँ न
बस
झुकना ही होगा
कभी तुम्हारे तो कभी
तुम्हारे झूठे स्वाभिमान के आगे ----------
अमर=====