मेरी साँसों के स्पंदन
तेज होने लगे है,
जब से,
चिर-परिचित कदमो की
आहट सुनाई दी है
वो आयेंगे न,
या, ये मेरे मन की मृग-मरीचिका है,
मेरे कानो ने, सुनी है जो आहट
कही वो दूर से किसी का झूठा आश्वाशन तो नहीं
कही मेरी प्रतीक्षा
मेरा विश्वास
सब निराधार तो नहीं,.........
नहीं उन्हें आना ही होगा
उन्हें मजबूर होना ही पड़ेगा
कृष्णा भी तो आये थे
मथुरा से वृन्दावन
अपनी गोपियों से मिलने
मै भी तो उनकी रुक्मणी हूँ..........
मुझे उनके साथ ही रहना है
वो आयेंगे जरुर आयेंगे,
मेरा विश्वास,
मेरी आराधना,
यूँ ही व्यर्थ नहीं जाने देंगे वो,
उन्हें भी अहसास होगा
मेरे विरह की पीड़ा का,
मेरे करुण क्रंदन का,
कुछ तो मोल होगा
उनकी निगाहों में,
मेरे आंसुओ का...
उनके बहने से पहले
वो मेरी बाँहों में होंगे
मै उनकी पनाहों में.....
मेरी साँसों के स्पंदन
तेज होने लगे है,
जब से,
चिर-परिचित कदमो की
आहट सुनाई दी है,
====अमर=====