कल रात से ही
आसमा में
काले घनेरे मेघो का जमावड़ा
किसके लिए -------
आज सुबह से ही
हर तरफ , हर गली
चीखते -चिल्लाते लोग,
त्राहिमाम- त्राहिमाम --------
एक -एक तिनका
तोड़कर-जोड़कर ,
अपने सपनो को संजोकर
रखा था करीने से, अलमारियों में
बीती रात की बेला
सब बहा कर ले गयी
संग अपने
अलमारियों से ,
आज तुम भी
बेचैन हो शायद
क्या तुम्हारा घर भी
कल रात की बारिश गुलजार कर गयी ?
आज एक नयी सुबह
एक नयी जगह
फिर से कुछ नए तिनके
बटोरने है एक नए आशियाने के लिए
अमर====